पालघर: जिले में आदिवासी संगठनों का विरोध, ख्रिश्चन मिशनरियों पर संस्कृति तोड़ने का आरोप।
पालघर: जिले में आदिवासी संगठनों का विरोध, ख्रिश्चन मिशनरियों पर संस्कृति तोड़ने का आरोप।
अखिलेश चौबे
पालघर। जिले में आदिवासी संस्कृति पर लगातार हो रहे कथित हमलों को लेकर संस्कृति रक्षण समिति, उलगुलान ब्रिगेड और आदिवासी एकता मित्र मंडळ समेत कई संगठनों ने एकजुट होकर जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय को निवेदन सौंपा है। संगठनों का आरोप है कि जिले में ख्रिश्चन मिशनरी लगातार आदिवासी समाज की परंपराओं और संस्कृति पर आघात कर रहे हैं, जबकि प्रशासन द्वारा इन अवैध गतिविधियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
संगठनों ने कहा है कि प्रशासन की निष्क्रियता के कारण जिले में अनधिकृत ख्रिश्चन प्रार्थना स्थलों की संख्या 200 से भी अधिक हो चुकी है। इन स्थानों पर बिना अनुमति धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे स्थानीय आदिवासी समाज में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
निवेदन में यह भी आरोप लगाया गया है कि जब-जब आदिवासी समाज अपने अधिकारों और संस्कृति की रक्षा के लिए आवाज उठाता है, तब पुलिस प्रशासन उनके खिलाफ ही कार्रवाई करता है। हाल ही में 1 अक्टूबर 2025 को विक्रमगड तहसील के वेढे गांव निवासी गणेश पांडुरंग दुमाडा सहित 13 आदिवासी नागरिकों पर कथित तौर पर ख्रिश्चन मिशनरियों के दबाव में झूठे आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इसी तरह के मामले मोडगांव, नवी दापचरी, कासा बु., जामशेत, बांधन, आंबिस्ते आदि गांवों में भी देखने को मिले हैं।
संगठनों ने पुलिस प्रशासन से तीन प्रमुख मांगें रखी हैं। पहली, आदिवासी समाज के उन कार्यकर्ताओं पर दर्ज सभी झूठे मामले तुरंत वापस लिए जाएं, जो अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दूसरी, प्रशासन ऐसे सभी लोगों को संरक्षण प्रदान करे जो आदिवासी परंपराओं और संस्कृति को बचाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। तीसरी, जिले में मौजूद 200 से अधिक अनधिकृत ख्रिश्चन प्रार्थना स्थलों पर तात्कालिक कार्रवाई की जाए। इन मांगों को लेकर संगठन 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को पालघर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर मोर्चा और ठिय्या आंदोलन करने जा रहे हैं।
शनिवार, 4 अक्टूबर को यह निवेदन जिला पुलिस अधीक्षक यतिश देशमुख को आदिवासी एकता मित्र मंडळ के संस्थापक अध्यक्ष संतोष जनाठे के नेतृत्व में सौंपा गया। इस दौरान विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी, कार्यकर्ता, वेढे गांव के प्रभावित नागरिकों के साथ-साथ नवी दापचरी, सावरखंड, बांधण, मनोर, सफाले, धुकटन, धांगडपाडा, नंदोरे, कोंढाण, टाकवाल आदि गांवों के बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित थे।
आदिवासी संगठनों ने स्पष्ट कहा है कि यदि प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। स्थानीय स्तर पर यह मुद्दा अब सामाजिक असंतोष का रूप लेने लगा है।
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