महाराष्ट्र: अण्णासाहेब पाटील महामंडल का बड़ा निर्णय: अब ब्याज परतावें के साथ मिलेगा उद्योजकता प्रशिक्षण भी।
महाराष्ट्र: अण्णासाहेब पाटील महामंडल का बड़ा निर्णय: अब ब्याज परतावें के साथ मिलेगा उद्योजकता प्रशिक्षण भी।
अखिलेश चौबे
पालघर। आर्थिक रूप से पिछड़े युवाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर उद्योजक बनाने के उद्देश्य से अण्णासाहेब पाटील आर्थिक मागास विकास महामंडल ने एक महत्वाकांक्षी कदम उठाया है। अब तक केवल बैंक ऋण पर ब्याज परतावा (Interest Reimbursement) और मेंटरशिप योजनाएं संचालित करने वाला यह महामंडल अब अपने लाभार्थियों को उनके व्यवसाय के लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।
महामंडल के इस नए निर्णय की जानकारी देते हुए व्यवस्थापकीय संचालक विजयसिंह देशमुख ने कहा कि यह योजना केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका उद्देश्य युवाओं को ऐसा ज्ञान और कौशल प्रदान करना है, जिससे वे अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक चला सकें।
देशमुख ने बताया कि इस दिशा में त्वरित कार्रवाई करते हुए महामंडल की ओर से ‘उद्योग-सारथी प्रशिक्षण कार्यक्रम’ के अंतर्गत एक ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया। इसमें राज्यभर के इच्छुक लाभार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस वेबिनार में “पशुपालन और दुग्ध व्यवसाय” जैसे महत्वपूर्ण विषय पर पुणे कृषि विद्यालय के प्रमुख शास्त्रज्ञ डॉ. सोमनाथ माने ने मार्गदर्शन किया।
कार्यक्रम का सीधा प्रसारण यूट्यूब और फेसबुक पर भी किया गया।
इस प्रशिक्षण सत्र में डॉ. माने ने दुग्ध व्यवसाय में सफलता पाने के लिए आवश्यक तमाम पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार एक सफल डेयरी उद्यमी बनने के लिए उत्तम नस्ल के पशुओं का चयन, संतुलित आहार, स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय नियोजन और नवीन तकनीक का उपयोग अत्यंत आवश्यक है।
डॉ. माने ने समझाया कि अधिक दूध देने वाली गीर, साहिवाल, जर्सी जैसी देशी और विदेशी नस्लों की गाएँ व भैंसें दुग्ध उत्पादन के लिए सर्वश्रेष्ठ होती हैं। उन्होंने पशु चयन के दौरान इन नस्लों के गुणों और उनकी देखभाल के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि स्वस्थ पशुओं और अधिक दूध उत्पादन के लिए संतुलित आहार अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए हरा और सूखा चारा, खनिज मिश्रण तथा पोषक तत्वों का उचित अनुपात बनाए रखना चाहिए।
डॉ. माने ने कहा कि पशुओं को होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए समय-समय पर टीकाकरण, स्वच्छता नियमों का पालन और बीमार पशुओं का त्वरित उपचार जरूरी है। इससे उत्पादकता में वृद्धि होती है और नुकसान से बचाव संभव होता है।
दुग्ध व्यवसाय शुरू करने के लिए आवश्यक पूंजी, सरकारी योजनाओं से लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया, दूध की बिक्री एवं विपणन जैसे विषयों पर भी उन्होंने विस्तृत मार्गदर्शन दिया।
दूध उत्पादन और प्रबंधन को अधिक सुगम और आधुनिक बनाने के लिए उपलब्ध तकनीकी साधनों की जानकारी भी डॉ. माने ने दी। उन्होंने बताया कि आज के दौर में तकनीकी जागरूकता किसी भी व्यवसाय के लिए सफलता की कुंजी है।
डॉ. माने ने कहा, “दुग्ध व्यवसाय केवल आय का साधन नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। उचित प्रशिक्षण, नियोजन और टिकाऊ प्रबंधन के माध्यम से यह व्यवसाय अत्यंत सफल हो सकता है।”
वेबिनार में राज्यभर से अनेक युवक, महिला उद्यमी तथा स्व-सहायता समूहों के प्रतिनिधि ऑनलाइन शामिल हुए। सत्र के दौरान लाभार्थियों ने अपनी शंकाएँ सीधे डॉ. माने से पूछीं, जिनका समाधान उन्होंने विस्तारपूर्वक किया।
इस वेबिनार की संपूर्ण रिकॉर्डिंग महामंडल के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध कराई गई है, ताकि जो लाभार्थी इसमें शामिल नहीं हो सके, वे भी इससे लाभ उठा सकें।
महामंडल की ओर से आने वाले दिनों में राज्य के विभिन्न जिलों में भी ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यशालाएँ आयोजित की जाएंगी, जिनमें विषय विशेषज्ञ मार्गदर्शन करेंगे।
व्यवस्थापकीय संचालक विजयसिंह देशमुख ने बताया कि इन प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से महामंडल के लाभार्थी न केवल आर्थिक रूप से सक्षम होंगे, बल्कि तकनीकी और प्रबंधकीय दृष्टि से भी अपने व्यवसाय को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकेंगे।
इस प्रकार, अण्णासाहेब पाटील महामंडल का यह नया निर्णय युवाओं को आत्मनिर्भर उद्यमी बनाने की दिशा में एक ठोस और दूरदर्शी कदम साबित होगा।
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