पालघर: वीज कर्मचारी कृती समिति ने दी आंदोलन की चेतावनी; 9 अक्टूबर को राज्यव्यापी एकदिवसीय हड़ताल।
पालघर: वीज कर्मचारी कृती समिति ने दी आंदोलन की चेतावनी; 9 अक्टूबर को राज्यव्यापी एकदिवसीय हड़ताल।
अखिलेश चौबे
पालघर। महाराष्ट्र राज्य की तीनों विद्युत कंपनियों में जारी निजीकरण की प्रक्रिया, पेंशन लागू न किए जाने सहित अन्य लंबित मांगों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए महाराष्ट्र राज्य विद्युत कर्मचारी, अभियंता एवं अधिकारी कृती समिति ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। समिति ने घोषणा की है कि इस आंदोलन का चरम बिंदु 9 अक्टूबर 2025 को होगा, जब पूरे राज्य में एकदिवसीय प्रतीकात्मक हड़ताल की जाएगी।
कृती समिति का कहना है कि जनवरी 2023 में तत्कालीन चर्चाओं के दौरान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आश्वासन दिया था कि विद्युत कंपनियों का निजीकरण नहीं होगा। लेकिन उसके बाद से विभिन्न तरीकों से निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे कर्मचारी संगठनों में रोष है।
महावितरण, महापारेषण और महानिर्मिती कंपनियों से जुड़े कर्मचारियों ने अपनी प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन की चरणबद्ध योजना बनाई है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में महावितरण कंपनी के कार्यक्षेत्र में समानांतर विद्युत वितरण लाइसेंस देने का विरोध, 329 उपकेंद्रों को ठेकेदारी पद्धति से चलाने के निर्णय का विरोध, महापारेषण कंपनी के 200 करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट पूंजीपतियों को सौंपने और IPO प्रक्रिया का विरोध शामिल है। साथ ही महानिर्मिती कंपनी के जलविद्युत प्रोजेक्ट का निजीकरण बंद करने, राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत पेंशन योजना को तत्काल लागू करने, पदोन्नति में पिछड़ा वर्ग को पूर्वलाभी आरक्षण देने, तीनों कंपनियों में रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती करने और ठेका कर्मचारियों को नियमित करने की मांग की गई है।
आंदोलन की शुरुआत 23 सितंबर को आदेशों की प्रतीकात्मक होली जलाकर असहयोग आंदोलन से की गई। इसके बाद 24 सितंबर को विभागीय कार्यालयों के सामने द्वारसभा, 25 सितंबर को कर्मचारियों के ग्रुप छोड़ने, 29 सितंबर को सिम कार्ड जमा करने और 1 अक्टूबर को जोन कार्यालय के सामने धरना आंदोलन आयोजित किया जाएगा। 3 और 7 अक्टूबर को जोन, मंडल एवं विभागीय कार्यालयों के समक्ष द्वारसभाएं होंगी, 6 अक्टूबर को अभियंता कार्यालय में ठिय्या आंदोलन होगा और अंत में 9 अक्टूबर को राज्यव्यापी एकदिवसीय प्रतीकात्मक हड़ताल की जाएगी।
कृती समिति ने स्पष्ट किया है कि यदि इस आंदोलन से बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण प्रभावित होते हैं और औद्योगिक शांति भंग होती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी। संगठन का रुख है कि समस्याओं का समाधान केवल बातचीत से होना चाहिए।
यह आंदोलन महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन, महाराष्ट्र वीज कामगार महासंघ, सबऑर्डिनेट इंजीनियर्स एसोसिएशन, वीज कामगार कांग्रेस (INTUC), पिछड़ा वर्ग विद्युत कर्मचारी संगठन, स्वाभिमानी विद्युत वर्कर्स यूनियन तथा तकनीकी कामगार यूनियन जैसे प्रमुख संगठनों के नेतृत्व में किया जाएगा।
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