पालघर: बोईसर की राजनीति में बड़ा बदलाव : आनंद धोडी समेत विभिन्न दलों के सरपंच और जनप्रतिनिधि भाजपा में शामिल।

पालघर: बोईसर की राजनीति में बड़ा बदलाव : आनंद धोडी समेत विभिन्न दलों के सरपंच और जनप्रतिनिधि भाजपा में शामिल।

अखिलेश चौबे 
पालघर। गुरुवार का दिन जिले की राजनीति के लिए बेहद अहम साबित हुआ। राज्य में महायुति के दो प्रमुख घटक दल—भाजपा और शिवसेना—के बीच बढ़ती खटास के संकेत अब खुले तौर पर दिखाई देने लगे हैं। इसका सबसे ताज़ा उदाहरण गुरुवार को मुंबई के नरिमन प्वाइंट स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित भव्य पक्ष प्रवेश कार्यक्रम में देखने को मिला।
भाजपा के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण की मौजूदगी में आयोजित इस कार्यक्रम में पालघर भाजपा जिलाध्यक्ष भरत राजपूत के नेतृत्व में हजारों पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इनमें पालघर, बोईसर, मोखाडा, मनोर समेत जिले के कई हिस्सों से आए नेता और कार्यकर्ता शामिल रहे। कार्यक्रम स्थल पर ‘भारत माता की जय’ और ‘भाजपा विजय’ के नारों से माहौल गूंज उठा।
इस पक्ष प्रवेश की सबसे खास बात रही कि शिवसेना के वरिष्ठ उपनेता और जिले के कद्दावर नेता जगदीश धोडी के भतीजे, शिवसेना के युवा नेता और सरावली ग्राम पंचायत के सरपंच आनंद प्रकाश धोडी ने भी अपनी पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। आनंद धोडी ने स्वीकार किया कि वे लंबे समय से शिवसेना में उपेक्षा और अंतर्कलह से जूझ रहे थे। उनके साथ बड़ी संख्या में समर्थक भी भाजपा में शामिल हुए।
भाजपा में शामिल होने वालों में पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष प्रकाश निकम, पूर्व जिला परिषद सदस्य सरिता निकम, पूर्णिमा धोडी, भावना धोडी, पालघर के पूर्व नगराध्यक्ष नंदकुमार पाटील, सरावली के सरपंच आनंद प्रकाश धोडी, कमलाकर दलवी, चंद्रकांत रंधा, रिंकी रत्नाकर, धनंजय नवडेकर, रेशमा नंदकुमार पाटील, सुधीर नम समेत कई अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह अब तक का सबसे बड़ा पक्ष प्रवेश कार्यक्रम रहा। इसमें 54 सरपंच, 123 ग्राम पंचायत सदस्य (पूर्व और वर्तमान) तथा जिले के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े करीब दो हजार से अधिक कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ली।

इस अवसर पर पालघर भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबाजी कोटवाले, अशोक वड़े, प्रशांत संखे, मिलिंद वड़े, विवेक वड़े, तुषार संखे, सत्यप्रकाश सिंह और महेंद्र भोणे सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पालघर की यह हलचल आने वाले समय में महायुति के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। भाजपा और शिवसेना के बीच कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों में आपसी सामंजस्य की कमी, परस्पर टकराव और खींचतान यदि इसी तरह जारी रही, तो इसका सीधा असर 2024 के लोकसभा चुनाव से लेकर आगामी विधानसभा चुनावों तक दिखाई दे सकता है।



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