महाराष्ट्र: 150 दिवसीय ई-गवर्नेंस सुधारणा मोहिम में कोकण परिक्षेत्र प्रथम स्थान पर।

महाराष्ट्र: 150 दिवसीय ई-गवर्नेंस सुधारणा मोहिम में कोकण परिक्षेत्र प्रथम स्थान पर।


अखिलेश चौबे 
महाराष्ट्र। प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे 150 दिवसीय ई-गवर्नेंस सुधारणा अभियान में कोकण परिक्षेत्र विशेष पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय, नवी मुंबई ने पूरे राज्य में पहला स्थान प्राप्त किया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विशेष पुलिस महानिरीक्षक कोकण परिक्षेत्र संजय दराडे को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
राज्य में 7 मई 2025 से 2 अक्टूबर 2025 तक ई-गवर्नेंस सुधारणा मोहीम चलाई जा रही है। इस दौरान शासन कार्य को अधिक लोकाभिमुख और पारदर्शी बनाने पर जोर दिया गया है। 29 अगस्त 2025 को किए गए अंतरिम मूल्यांकन में विभिन्न कार्यालयों की कार्यप्रणाली का आकलन किया गया। इसमें संकेतस्थल, डैशबोर्ड, आपले सरकार पोर्टल, ई-ऑफिस प्रणाली, WhatsApp चैटबॉट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और जीआईएस प्रणाली जैसे मानकों के आधार पर परिक्षेत्रों को अंक दिए गए। नतीजों में कोकण परिक्षेत्र विशेष पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय को प्रथम स्थान मिला।
इसी अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों कोकण परिक्षेत्र की ओर से सागरी सुरक्षा को लेकर तैयार किए गए आधिकारिक WhatsApp चैनल "समुद्र संदेश" का लोकार्पण सह्याद्री अतिथिगृह, मुंबई में किया गया। इस मौके पर राज्य के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव (गृह) और पुलिस महासंचालक भी मौजूद थे।
"समुद्र संदेश" WhatsApp चैनल के माध्यम से नागरिकों को सागरी सुरक्षा, आपत्ती प्रबंधन और मत्स्य व्यवसाय से जुड़ी सुरक्षा जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही अवैध शस्त्र, मादक पदार्थों की तस्करी और संदिग्ध नौकाओं की सूचना भी नागरिक इस चैनल पर दे सकेंगे। यह दो-तरफा संवाद का माध्यम होगा। नागरिक, सागरी सुरक्षा दल और ग्राम रक्षक दल QR कोड स्कैन कर इस चैनल से जुड़ सकते हैं। संजय दराडे ने अपील की कि अधिक से अधिक लोग "सुरक्षित समुद्र, सुरक्षित किनारा" अभियान से जुड़े।
इसके अलावा कोकण परिक्षेत्र में नवाचार के तहत एक विशेष वेब एप्लिकेशन भी विकसित किया गया है। इसके जरिए जब्त किए गए मुद्देमाल की सुरक्षित कस्टडी और Chain of Custody सुनिश्चित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल होगा। प्रत्येक वस्तु के लिए अलग यूनिक कोड तैयार किया जाएगा, जिसे मोबाइल फोन से स्कैन कर संबंधित जानकारी और प्रमाणिकता जांची जा सकेगी। इससे जांच अधिकारी और अमलदार अपराधवार मुद्देमाल का वर्गीकरण कर सकेंगे।
साथ ही जीआई/रिमोट सेंसिंग और लोकेशनल सर्विसेज के जरिए अपराध स्थलों, अपराध नेटवर्क, पुलिस थानों की सीमाएं, संवेदनशील स्थान, नाकाबंदी स्थल और गश्त मार्ग जीआईएस स्तर पर दर्ज किए जाएंगे। इसके आधार पर यातायात प्रबंधन, आपत्ती प्रबंधन और अपराध की गंभीरता का समयानुसार व प्रतिशत के आधार पर नक्शा तैयार होगा।

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