पालघर: जिले के शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी और विद्यार्थियों की समस्याएं जल्द सुलझाई जाएं: सांसद डॉ. हेमंत सवरा ने राज्य सरकार से की मांग..!
पालघर: जिले के शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी और विद्यार्थियों की समस्याएं जल्द सुलझाई जाएं: सांसद डॉ. हेमंत सवरा ने राज्य सरकार से की मांग..!
अखिलेश चौबे
पालघर..! जिले के लोकसभा से सांसद डॉ. हेमंत विष्णु सवरा ने राज्य के शालेय शिक्षण राज्यमंत्री डॉ. पंकज भोयर को एक पत्र सौंपते हुए शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी और विद्यार्थियों से जुड़े विभिन्न लंबित मामलों पर त्वरित और सकारात्मक कार्रवाई की मांग की है। यह पत्र उस समय सौंपा गया जब राज्यमंत्री डॉ. भोयर पालघर जिले के दौरे पर थे और उन्होंने जिले की शैक्षणिक व प्रशासकीय स्थिति का जायजा लिया।
सांसद डॉ. सवरा ने अपने निवेदन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि वर्तमान में शिक्षण क्षेत्र से जुड़े अनेक मुद्दे वर्षों से प्रलंबित हैं और इससे न केवल शिक्षक और कर्मचारी बल्कि विद्यार्थी भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार से इन समस्याओं के समाधान के लिए तत्परता दिखाते हुए ठोस निर्णय लेने की अपील की।
मुख्य मांगों के तहत सांसद डॉ. हेमंत सवरा ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि 15 मार्च 2024 के शासन निर्णय के तहत रद्द की गई संच मान्यता को पुनः लागू किया जाए।, सातवें वेतन आयोग के अंतर्गत शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों की वेतन संबंधी विसंगतियों को दूर किया जाए और पालघर जिला व ग्रामीण क्षेत्रों में 11वीं कक्षा की प्रवेश प्रक्रिया ऑफलाइन माध्यम से संचालित की जाए। इसके साथ ही, सभी शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ प्रदान किया जाए तथा शालाओं को वेतन के अतिरिक्त अनुदान भी दिया जाए। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शालाओं में पदोन्नति प्रक्रिया को नियमित रूप से लागू किया जाए। अनुदानित और गैर-अनुदानित शालाओं के बीच कर्मचारियों के तबादलों की ऑनलाइन मान्यता सुनिश्चित की जाए और MMRDA क्षेत्र की शालाओं में कार्यरत कर्मचारियों को 30% मकान भत्ता प्रदान किया जाए। शालेय कर्मचारियों की बिंदूनामावली की तुरंत जांच हो और पेसा प्रमाणपत्र ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाए। शालार्थ आईडी और व्यक्तिगत मंजूरी की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन की जाए तथा माध्यमिक विभाग में स्वीकृत कर्मियों की तत्काल नियुक्ति की जाए। ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को मुफ्त एस.टी. बस पास योजना का लाभ भी दिया जाए। साथ ही, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए छात्रावासों की स्थापना की जाए और शिष्यवृत्ति में की गई कटौती को त्वरित प्रभाव से वापस लिया जाए।
डॉ. सवरा ने स्पष्ट कहा कि ये मांगें केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि समूचे शिक्षा क्षेत्र की मजबूती के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने राज्य सरकार से इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर जल्द से जल्द सकारात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
Comments
Post a Comment