शिकारियों ने अपने ही साथी को समझा शिकार, चली गोली और गई जान- पालघर में दर्दनाक हादसा..!
शिकारियों ने अपने ही साथी को समझा शिकार, चली गोली और गई जान- पालघर में दर्दनाक हादसा..!
अखिलेश चौबे
पालघर..! जिले के बोरशेत के घने जंगलों में शिकार करने गए एक समूह के सदस्यों ने अपने ही साथी को जंगली जानवर समझकर गोली मार दी, जिससे उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। यह दर्दनाक घटना 29 जनवरी को घटी, जिसमें 60 वर्षीय रमेश वरठा की जान चली गई। इस मामले में मनोर पुलिस ने 5 फरवरी को 12 लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया और अब तक 9 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
◾कैसे हुआ यह हादसा?
पुलिस की प्रारंभिक जांच के अनुसार, 28 जनवरी को 12 लोगों का एक समूह बोरशेत के जंगल में जंगली सूअर का शिकार करने के लिए दो बंदूकें और कारतूस लेकर गया था। इसके साथ ही उन्होंने जंगल में ही रुककर पार्टी करने का निर्णय लिया और नमक, मसाले, तेल व बर्तन भी साथ ले गए थे।
हालांकि, रमेश वरठा (मृतक) किसी काम के कारण पहले दिन उनके साथ नहीं जा सका और अगले दिन, यानी 29 जनवरी को वह अपने साथियों के पास जंगल में पहुंचा। जैसे ही वह घनी झाड़ियों के बीच से होकर गुजरा, शिकारियों ने झाड़ियों को हिलते हुए देखा और यह समझ लिया कि वहां कोई जंगली सूअर छिपा हुआ है। बिना पुष्टि किए उन्होंने झाड़ियों की ओर गोली चला दी।
जब शिकारी वहां पहुंचे, तो उनके होश उड़ गए। जंगली सूअर की जगह रमेश वरठा जमीन पर लहूलुहान पड़ा था। गोली लगने से उसकी मौके पर ही मौत हो चुकी थी।
◾घटना के बाद शिकारी शव छोड़कर भागे
घबराहट में सभी आरोपित रमेश के शव को कुछ दूरी पर ले जाकर छोड़ आए और वहां से फरार हो गए।
जब रमेश देर रात तक घर नहीं लौटा, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। खोजबीन के बावजूद जब वह नहीं मिला, तो गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाई गई। पुलिस ने जांच शुरू की और अगले दिन जंगल के पहाड़ों के ऊपर रमेश का शव बरामद हुआ।
शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद पुलिस ने इस घटना की विस्तृत जांच की, जिससे यह सनसनीखेज मामला सामने आया।
◾पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारियां
मनोर पुलिस ने 12 आरोपियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या (IPC धारा 304) का मामला दर्ज किया। अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि शेष 3 आरोपियों की तलाश जारी है।
◾सवाल जो इस घटना से उठते हैं
•क्या आरोपियों के पास शिकार करने का वैध लाइसेंस था?
•क्या जंगल में शिकार करना कानूनी रूप से अनुमति प्राप्त था?
•गैरकानूनी शिकार रोकने के लिए प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
निष्कर्ष
यह घटना शिकारियों की लापरवाही और गैरकानूनी शिकार की एक भयावह मिसाल है। बिना सही पहचान किए फायरिंग करना न केवल कानूनन अपराध है बल्कि यह किसी की जान भी ले सकता है। इस दुखद हादसे से सीख लेते हुए प्रशासन को जंगलों में अवैध शिकार रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
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